...

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क़ामयाबी का सफ़र
डूब जाएगी कश्ती टकराकर लहरों से,
ग़र सोचता यहीं हर नाविक सफ़र पर,
न उतरती कश्ती समुंद्र में कभी कोई,

कितना है विराट कितना अडिग पर्वत,
ग़र सोचता यहीं हर पर्वतारोही...