ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन कर रहा....
ए बादल तू आज जम कर बरस
ताकि धुल जाये बारिश मे ज़िन्दगी की किताब के सारे पन्नो की स्याही...
मेरा मन ज़िन्दगी फिर से लिखने को कर रहा है....
कोरे पन्नो को सतरंगी रंगो से रंगीन बना, नए अल्फाज़ो को लिख, नए तरानो से हसीन बनाने को ये दिल मचला रहा है.....
मुकदर में लिखा मिटा,अपनी तकदीर खुद चमकाने को जी कर रहा है
बारिश की बूंदो सा असमा को धरती से मिलाने का जूनून उमड़ रहा है....
सारी मज़बूरियों, कमज़ोरियों को
नयी उम्मीदों नए हौसलों में तब्दील करने का ये मन हो...
ताकि धुल जाये बारिश मे ज़िन्दगी की किताब के सारे पन्नो की स्याही...
मेरा मन ज़िन्दगी फिर से लिखने को कर रहा है....
कोरे पन्नो को सतरंगी रंगो से रंगीन बना, नए अल्फाज़ो को लिख, नए तरानो से हसीन बनाने को ये दिल मचला रहा है.....
मुकदर में लिखा मिटा,अपनी तकदीर खुद चमकाने को जी कर रहा है
बारिश की बूंदो सा असमा को धरती से मिलाने का जूनून उमड़ रहा है....
सारी मज़बूरियों, कमज़ोरियों को
नयी उम्मीदों नए हौसलों में तब्दील करने का ये मन हो...