आलसी आदमी 🏃
आलसी आदमी
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मैं क्यूं टूटा हूं
क्यों खुद से रूठा हूं
संभाल नहीं पा रहा मैं खुद को
क्यों दुनिया की सोचे बैठा हूं
हाथों में ढूंढता हूं नसीब को
मेहनत से मुकरके बैठा हूं
सोचता हूं कोई आसान रास्ता मिल जाए
कांटों पर चलने से...
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मैं क्यूं टूटा हूं
क्यों खुद से रूठा हूं
संभाल नहीं पा रहा मैं खुद को
क्यों दुनिया की सोचे बैठा हूं
हाथों में ढूंढता हूं नसीब को
मेहनत से मुकरके बैठा हूं
सोचता हूं कोई आसान रास्ता मिल जाए
कांटों पर चलने से...