...

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bachcha so Raha hai
श !!!....... बच्चा सो रहा है ,
अभी न करो टकरार,
अभी ना गिनाओ की तुमने मुझपर और मेरे मायके वालो पर किए है कितने एहसान ।
अभी मत बताओ की मै कितनी बुरी पत्नी हू और मेरा घर चलाने का तरीका और मेरा पकाया हुआ खाना तुम्हे कितना नागवारा है ।
श ! ! ! ...कहा न श ! ... बच्चा सो रहा है,
इसलिए अभी तो मत गिनाओ वो छोटी- छोटी आजादियां जो तुमने मुझे दे रखी है ,
वैसे घर मे सांस लेने , खाने, पीने और सोने का हक तो तुम्हारे कुत्ते को भी है और नौकर को भी ।

अभी मत याद दिलाओ की तुम्हारी माँ मुझसे कितनी नफरत करती है और तुम कैसे, मेरी उनके सामने तरफदारी,
क्यूँकि, तुम्हारी तरफदारी तो देखी है मैने ,
जब तुम्हारी माँ मुझे भद्दी गालीओ से जलील करती है और तुम कमरे से चुपचाप निकल जाते हो।
श ! ! .....बच्चा सो रहा है ...,
अभी करो न शोर फटकारो , धमकियों और भद्दी गालीयों का,
क्यूँकि ये शोर अक्सर घर के बरामदे से निकल कर गूँजता है पूरे मोहल्ले मे ,
और जब गली की औरते पूँछती है मुझसे इस बारे मे तो, मुझे तुम्हे बचाना पड़ता है,
तुम्हारी घटिया सोच को सबकी निगाहो मे आने से बचाना पड़ता है, क्यूँ ? इसका तो मुझे पता नहीं , शायद इस लिए की तुम ... मेरे पति हो...,
खैर छोड़ो ,
और बच्चा, बच्चा तो बगल के घर मे नहीं , यहीं मेरी गोद मे लेटा है ,
मै नहीं चाहती इसके कानो मे तुम्हारी बकी गालियाँ गूंजे,
या फिर इसे मेरे तुमपर किए गए एहसानो का मालूम चले,
क्यूंकि, ना ही मै इसे तुम्हारे जैसा दरिंदा बनाना चाहती हुँ और ना ही अपने जैसा डरपोक ।
श ! ! .... बच्चा सो रहा है ....