...

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#शायरी १
वोह हसी भी क्या हसी
जो तेरी गलियों से न गुजरी।।
वोह आसुए तेरी
जो काटो ज्यासे चुभती।।
वोह मुस्कुराना तेरा
जो दिन को हसीन कर देती।।
वोह काले जुल्फे तेरी
हवा जिसे हर रोज चूमती।।
पर हाय वोह अंधी जमाना
जो तेरेको बस काली बोलती।।