...

5 views

अब क्या कहु तुझेंसे
एक सफर एक उसपे ये जमाना
ढूंढने निकले एक आसियाना

ना पता था की क्या होगा क्या करे
किधर जाये कैसा होगा अपना ठिकाना

पर भरोसा था बिस्वास था तू है तो सब है
क्या डर मेरे साथ मेरा खुदा मेरा रब है

साये सा साथ रहा मेरे दर्द को चुपचाप सहा
कान सुनने तो तरसे जिसे वो कभी नही कहा

वक़्त गुजरता रहा कुछ बोले इस इंतजार ने
वो सब करता रहा ख़ामोशी से प्यार मे

एक एक पल था ज़ब भारी सासो पर
ज़िन्दगी की डोर दी थी कुछ आसो पर

कुछ पल मे ही फिर सारे हालाह बदल गए
रुकना था जहाँ उम्र भर कुछ पल मेही वहा से चल दिये

राते गुजर रही है पर जाने क्यों सबेरा न हुआ
सासो से रूह तक जो था मेरा चाह के भी मेरा न हुआ

सारी हसरहे चाहते पल भर मे टूट गया
वो मंजिल हमारी नजाने कहा छूट गया

लौट आये उन्ही रहो पर जहाँ न कभी आना था
क्यों भटकू गुमनाम रहो पर ज़ब यहीं ठिकाना था

कर लिए समझौते ज़िन्दगी से अपना नसीब मान कर
बिखर गए उम्मीदें सारी ज़िन्दगी की हर सचाई जान कर

अब क्या कहु उनसे और क्या मांगू भला
बह रहे है आँखो से जितने थे आँखो मे ख्वाब पला