...

9 views

मैं
पता है यूं तो मैं अक्सर ही,
मुस्कुराती रहती हूं।।

खिलती हंसी के पीछे,
सब कुछ छुपाए रहती हूं।।

कोई भांप न ले मेरे चेहरे से,
रंज ओ गम,मायूसी मेरी।।

मैं अक्सर अपनी आंखो को,
जुल्फों से छिपाए रहती हूं।।

होंठो की मुस्कुराहट के पीछे,
कैद रखती हूं दास्तान दर्द की।।

मेरे हालात जो हैं , जैसे है,
बस दिल में दफनाए रहती हूं।।

फिर भी..

मैं अक्सर बीते वक्त को ,
दरकिनार करके।।

चल रहे दौर के कदमों से कदम,
मिलाए रहती हूं।।

ज्यादा सच थोड़ा झूठ बोलकर,
अपने मन को बहलाए रहती हूं।।

भाग दौड़ से भरी इस दुनिया में,खुद
को सबसे पीछे छिपाए रहती हूं।।

इच्छाओं,आशाओं के अब वहम में नही रहती हूं,
मैं जैसी हूं,खुद को बस वही बनाए रखती हूं..।।
!! Nishu !!