...

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तेरा साथ
तेरा जो साथ था ,
हाथो में जो हाथ था ,,
तो बात कुछ और थी ,,
जब से छूटे हाथो से हाथ ,
केसे कहु अब बिन तेरे
बात कुछ और ना थी,,
वेसे तो ज़माने भर की हाँ थी ,,
मगर तू जो होती तो बात कुछ और थी ,,

कुछ गलत फेमिया क्या हुई,,
फासले जो थे फिर बड़ते ही गए ,,
ना तुम फिर वो रहे ना हम फिर वो
दोनों ही वक़्त की गर्द में तबाह होते गए,,

मिले भी हजारो मोड़ पर
मगर कुछ हो ना सका ,,
झुकी रही पलके दोनों की
वो कुछ कह ना सके हम कुछ
बिन बोले समझ ना सके ,,
फासले ही रहे उम्र तमाम मिल ना सके,,

© jitensoz