...

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यादों की डायरी...
ताज़ा हो गए तमाम वो क़िस्से जब पलट के समय के पन्नों को देखा।

छिपे हुए दोस्त बाहर निकल आए सबको हंसते मुस्कुराते देखा।

दौड़ गया मन पकड़ने पुरानी यादों को, रोके न रूका पगलाया देखा।

"अवतार टाकीज" और "पी बी आर" की यादों को समेटते देखा।

कॉलेज की हर सीढ़ी को दोस्तों के साथ साथ उतरते देखा।
बिल्डिंग की छत पर छुपकर समोसे कचोरियाँ खाते देखा।

बैठे हुए कॉलेज के बगीचे में सबको हँसते ठहाके लगाते देखा।

कितनी प्यारी है न तू यादों की शायरी दोस्तों को मिलाते देखा।

पलटते हुए समय के पन्नों को आज अपने दोस्तों को अपने पास से देखा।

*"VK SAMRAT*