रूठे साजन
रुठे थे कभी ,लौट आने लगे है,,
परिंदे तो फिर घर बनाने लगे हैं,,
तसल्ली से तोड़ा है यूँ इश्क़ ने जो,
मुझे देख नज़रें झुकाने लगे हैं,,
वो दीमक के मानिंद खा...
परिंदे तो फिर घर बनाने लगे हैं,,
तसल्ली से तोड़ा है यूँ इश्क़ ने जो,
मुझे देख नज़रें झुकाने लगे हैं,,
वो दीमक के मानिंद खा...