...

6 views

अत्याचार का खेल
सुनो दर्द भरी दास्तान, जो दिल को झकझोर दे,
दरिंदों की दरिंदगी, सच को ही निगल ले।
जख्म पुराने हैं, पर दर्द है ताजा,
इंसानियत के नाम पर, हर जगह है धोखा।

आसमान चीखा, पर कोई नहीं सुनता,
दरिंदों का खेल, इंसानियत को ही छलता।
सपनों की उड़ान थी, पर राहें कटी,
माँ-बाप के अरमान, भी बन गए मिट्टी।

कानून का जाल, इंसाफ नहीं,
जो बचा था सकता ,गिरा था वही ।
लाखों को बचाने वाली, खुद न बच सकी,
दरिंदों की भीड़, यूँही चल पड़ी।

कहानी वही पुरानी, पर दर्द नया है,
हर बेटी का सपना, क्यों राख हुआ है?
कब तक ये खामोशी, कब...