बेजार नहीं मैं
जख्म लग जाते तो आसानी से नहीं भरता मैं
क्या करु सबको परेशान नहीं करता मैं
मैं एक दरिया भी रहू
और रहू जंगल भी
किसी के कहने पर तैयार नहीं होता मैं
कभी मिल जाएगी नदिया भी...
क्या करु सबको परेशान नहीं करता मैं
मैं एक दरिया भी रहू
और रहू जंगल भी
किसी के कहने पर तैयार नहीं होता मैं
कभी मिल जाएगी नदिया भी...