...

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काश बचपन लौट आए

काश मैं से फिर से बच्चा बन जाऊं
छल कपट से दूर निर्मल मन पाऊँ
कभी चढ़ जाऊँ जामुन के पेड़ पर
कभी झर बेरी से उलझ मुस्कुराऊँ
कभी दौडूं चाँद तारों के पीछे
कभी बादलों के जल में नहाऊं
कभी तितली को पकड़ने को मचलूँ
कभी नभ से ऊँची पतंग उड़ाऊँ
कभी दोस्तों से बिना बात झगडुं
कभी माँ की गोद में सिमट सो जाऊँ

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