...

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बारिश की बूंद
आज बारिश अपने घर से निकली
अपने परिवार वालों को विदाई देते हुए वह आगे बढ़ी।
रास्ते में बादल मामा के घर पर रुकी
चाय -पानी और गप - शप के बाद
वह फिर आगे बढ़ी।
परिवार से बिछड़ी
बारिश की बूंद
आने की थोड़ी सी खुशी
पर आंखों में थोड़ी सी नमी
नमी को छुपाती
बाकी बूंदों से मिलती
वह और आगे बढ़ी
खूबसूरत दुनिया को देखती
खुशी से फूलती
अपने बाकि सहेलियों को अपनी कहानी बताती
वह और आगे बढ़ी
आगे बढ़ते बढ़ते
दूर से घरों को देखती
जा पहंची एक कुटिया में
टूटी सी एक कुटिया वह
कैसे रह पाएगी बारिश बेचारी
टिक न पाई बारिश वहां
आगे बढ़कर
जमीन पर गिर कर
घास से लिपट कर
मिट्टी को छू कर
इस लंबी सफर से
थक कर
आखिर में जाकर
भू में समा जाती
वह घर से निकली हुई बारिश की बूंद ।

~ख्वाईश