जीवन का युद्ध...
बस थक कर के मैं बैठा हूँ, जीवन का युद्ध नहीं हरा हूँ.
चट्टानों सी ठोकर सहकर, कर्तव्य को अपने सवारा हूँ.
अब नहीं हटूंगा पीछे मैं, अंधेरो के इस चौखट से.
अधर्म से अब लड़ने के लिए, मैं धर्म का नया उजाला हु.
क्यों रखूँ निराशा उनके लिए, जीवन का मार्ग जो छोड़...
चट्टानों सी ठोकर सहकर, कर्तव्य को अपने सवारा हूँ.
अब नहीं हटूंगा पीछे मैं, अंधेरो के इस चौखट से.
अधर्म से अब लड़ने के लिए, मैं धर्म का नया उजाला हु.
क्यों रखूँ निराशा उनके लिए, जीवन का मार्ग जो छोड़...