चलते रहो, मंज़िल दूर नहीं
चलते रहो, मंज़िल दूर नहीं,
ये रास्ते, ये डगर, तेरे लिए हैं सही।
ठोकरें लगें, गिरो, फिर उठो,
ये ज़िंदगी, ये सफ़र, यूँ ही कटता नहीं।
थक कर बैठो न कभी, हार मानो न,
ये मुश्किलें, ये पल, बस यूँ ही टलते नहीं।
आँसू पोंछो, मुस्कुराओ, आगे बढ़ो,
ये सपने, ये ख्वाहिशें, यूँ ही मिलते नहीं।
चलते रहो, चलते रहो, रुकना...
ये रास्ते, ये डगर, तेरे लिए हैं सही।
ठोकरें लगें, गिरो, फिर उठो,
ये ज़िंदगी, ये सफ़र, यूँ ही कटता नहीं।
थक कर बैठो न कभी, हार मानो न,
ये मुश्किलें, ये पल, बस यूँ ही टलते नहीं।
आँसू पोंछो, मुस्कुराओ, आगे बढ़ो,
ये सपने, ये ख्वाहिशें, यूँ ही मिलते नहीं।
चलते रहो, चलते रहो, रुकना...