...

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ओ मेरे आंगन की चिड़िया... बेटियां...
ओ मेरे आंगन की चिड़िया चाहे तुझको कौन रे...
तेरा जिम्मा अब तू ही उठा ले, सब तो रहते मौन रे...
तू जब इस दुनिया में आई, तेरे आने पर था सोचा गया,
क्या ज़रूरत है तुझे लाने की तेरी मां को भी था रोका गया...
तेरे दहेज का डर, तेरी बाली उमर, ये हवस की दुनियां, फिर पढ़ाई का खर्च...
तेरी लाज शरम, मेरे फूटे करम, क्या बोलेगा समाज, हाय तेरी लाज....
तेरे आने के पहले ये सब सोचा जायेगा...
अभी तो तू दुनिया में आई भी नही,
सोचते ये तेरे घर से जाने पर बार बार टोका जाएगा...

फिर भी...
दुनिया से लड़ती खुद की जान सम्हाले,
दुनियां में आई सब भ्रम दूर कर डाले,
फिर भी पवित्र सीता को जग में अपनी...