" संयम "
आज के ज़माने में "संयम" किस चिड़िया का नाम है ,
"खाओ पीओ ऐश करो" ये ज़िंदगी इसी का नाम है ।
"चरित्र" आवारा हो गया और "मर्यादा" घर से भाग गई ,
"वर्जनाओं" की लकीर पीछे छूट गई "वासना" जाग गई ।
प्रेम की छाया में दैहिक आकर्षण फल फूलकर पक रहा ,
"रोज नया साथी" के आगे "जनमों का रिश्ता" थक रहा ।
न बड़ों का आदर सम्मान न बुजुर्गों की सलाह...
"खाओ पीओ ऐश करो" ये ज़िंदगी इसी का नाम है ।
"चरित्र" आवारा हो गया और "मर्यादा" घर से भाग गई ,
"वर्जनाओं" की लकीर पीछे छूट गई "वासना" जाग गई ।
प्रेम की छाया में दैहिक आकर्षण फल फूलकर पक रहा ,
"रोज नया साथी" के आगे "जनमों का रिश्ता" थक रहा ।
न बड़ों का आदर सम्मान न बुजुर्गों की सलाह...