...

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बस अब बहुत हुआ
तू उठ, तू उसको फूँक दे, 
जिसने तेरा दामन छुआ
अपनी यही परम्परा,
रावण सदा दहन हुआ,
तू अश्रू-अश्रू ना बहा,
तू रक्त की नदी बहा,
तू उठ, तू उसको फूँक दे,
जिसने तेरा दामन छुआ।

किसी से ना पुकार कर,
प्रालाप ना, चीत्कार कर...