pitrrin se dabe rahenge
हम भूल जायेंगे इक रोज़;
वो सारे बलिदान..
वो वात्सल्य..
जो वो बिना किसी शर्त ,
लुटा रहे हैं
खुले...
वो सारे बलिदान..
वो वात्सल्य..
जो वो बिना किसी शर्त ,
लुटा रहे हैं
खुले...