...

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चाँद को पता था...
किसी को कुछ खबर नही
बस चाँद को पता था
बादलों की हसरत का
बस रात को पता था...

हम बैठे थे चुपचाप..
कुछ एहसास दबाए हुए...
दिल की हर ख्वाहिश का
उस आसमान को पता था....

हमने पूछा आइने से
तू धुँधला सा क्यूँ है..
किस अक्स का इन्तेज़ार था..
बस हवाओं को पता था..

किसी को कुछ खबर नही
बस चाँद को पता था ...ईशा