...

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कभी मिल लिया करो हुजूर
कभी मिल लिया करो हुजूर।
जिंदगी जी लिया करो हुजूर।

दूर से जब पूछोगे तो क्या कहूँ,
खैरियत है ठीक हूँ कहूँगा हुज़ूर।

क्या तुम्हें अब भी याद है वो दिन,
या सब कुछ भुला दिया हुजूर।

हमें तो बस तुम्हारा ही ख्याल है,
तुमने कहाँ अपना समझा हुजूर।

अब इस जिंदगी का क्या करें,
जब तुमसे दूर हो गये है हुजूर।

हमें तुम्हारी परवाह हमेशा थी,
क्यों बेगाना बना दिया हुजूर।

ये मुफलिसी और तुम्हारा गम,
ये सारे जान ले लेंगे मेरा हुजूर।

लोग कहते हैं कि मैं दीवाना हूँ,
लोग क्या जाने गमजदा हूँ हुजूर।

थक गया तुम्हारा इंतजार करके,
पर आपने क्या सिला दिया हुजूर।

बेशक तुम मेरा इम्तिहान ले लो,
यह दीवाना जान दे देगा हुजूर।
© राकेश कुमार सिंह