सफ़र
कभी जज़्बात रहते हैं काबू
कभी मन मचल भी जाता है
कभी सूरज को तरसती हैं निगाहें
कभी मन बारिश को ललचाता है
समझ जाएगा ज़माना मन की
वाह!किस भ्रम को पाल बैठे हो
परछाई भी नहीं देती साथ हमेशा
तुम सात जन्मों के बंधन की...
कभी मन मचल भी जाता है
कभी सूरज को तरसती हैं निगाहें
कभी मन बारिश को ललचाता है
समझ जाएगा ज़माना मन की
वाह!किस भ्रम को पाल बैठे हो
परछाई भी नहीं देती साथ हमेशा
तुम सात जन्मों के बंधन की...