दीप-शौर्य।🪔
जगमगा रही है देखो दीप दीप की कतार।
सिमट सिमट के शून्य हो गया है अंधकार।
मौन थे बुझे हुए, मुखर हुए, किया प्रहार।
सौम्य से दिए की लौ, हो शस्त्र कोई धारदार।
अश्व से बने दिए, ज्योति ज्योति...
सिमट सिमट के शून्य हो गया है अंधकार।
मौन थे बुझे हुए, मुखर हुए, किया प्रहार।
सौम्य से दिए की लौ, हो शस्त्र कोई धारदार।
अश्व से बने दिए, ज्योति ज्योति...