सैलाब आंखों का
मैने नहीं चाहा था की तुम
हमारी विरह की कविताएं पढ़ो
मैं चाहती थी तुम पढ़ो
हमारी पहली मुलाकात से
आखरी सांस तक के साथ को
जो रिश्ता खत्म होना चाहिए था
सांस के साथ
वो खत्म हुआ
एक अधूरे संवाद के साथ
वो संवाद जिसमे
तुम नहीं सुन पाए
मेरी चीखें
तुम तो कहते थे
तुम्हे नही पसंद
मेरी नम आंखे
जानते हो
एक सैलाब आया था
उन्ही...
हमारी विरह की कविताएं पढ़ो
मैं चाहती थी तुम पढ़ो
हमारी पहली मुलाकात से
आखरी सांस तक के साथ को
जो रिश्ता खत्म होना चाहिए था
सांस के साथ
वो खत्म हुआ
एक अधूरे संवाद के साथ
वो संवाद जिसमे
तुम नहीं सुन पाए
मेरी चीखें
तुम तो कहते थे
तुम्हे नही पसंद
मेरी नम आंखे
जानते हो
एक सैलाब आया था
उन्ही...