...

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मदिरा सवैया छंद

मुखडा सौंदर्य से दमक रहो।
छवि आंखन अतिशय भाय रही।

छाई नभ मे घनघोर घटा।
उर बगिया साँझ सुहाय रही।

उर में व्यापत है काम कला।
रति देख दशा बहकाय रही।

जब सेज चढे सजना सजनी।
सखि देखि देखि मुस्काय रही।

कछु कहत बनय...