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सफर!
याद आता नहीं__कब से में सफर में हूँ,
मिल ही जायेगी वो__बस इसी भ्रम में हूँ ।
आँख खुलती नहीं__चाह के भी अब मेरी,
एक हसीन ख्वाब की__इसक़दर जकड़ में हूँ।
हैं कई संग मेरे______हमराहा मगर!
लग रहा है मुझे__कि तन्हा सफर में हूँ।
जला रहा हूँ में क्यूँ___हसरतों के दिये,
मुद्दतों से में जब कि_आंधियों के शहर में हूँ।
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#aasgaduli #alfaaz-e-aas #Poetry