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सजदा
नजदीकियां कुछ इस कदर बढ़ने लगी
पता ना चला कब हदे पार करने लगी
ना जाने कैसे पर गए इश्क के चक्कर में हम
अगले दिन जब देखा तो वो मेरा खुदा लगने लगी
फिर क्या सजदे के उनके ये सिर झुक गया
हर दिन की नमाज़ उनके सामने अदा कर गया
लोग कहते रहे ये जुर्म है ये हसीन जुर्म मैं कर गया
© Anshu
पता ना चला कब हदे पार करने लगी
ना जाने कैसे पर गए इश्क के चक्कर में हम
अगले दिन जब देखा तो वो मेरा खुदा लगने लगी
फिर क्या सजदे के उनके ये सिर झुक गया
हर दिन की नमाज़ उनके सामने अदा कर गया
लोग कहते रहे ये जुर्म है ये हसीन जुर्म मैं कर गया
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