...

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सजदा
नजदीकियां कुछ इस कदर बढ़ने लगी
पता ना चला कब हदे पार करने लगी
ना जाने कैसे पर गए इश्क के चक्कर में हम
अगले दिन जब देखा तो वो मेरा खुदा लगने लगी
फिर क्या सजदे के उनके ये सिर झुक गया
हर दिन की नमाज़ उनके सामने अदा कर गया
लोग कहते रहे ये जुर्म है ये हसीन जुर्म मैं कर गया
© Anshu