होली (एक विरह की)
फूटे करम अबीर के अभागा गुलाल हुआ है आज
जिसपर लगना था प्रेमरंग वो गाल हुआ ओझल सा आज
गैरों से बनते है रिश्ते अपने होते बैर यहाँ पर
होली पर ये मतभेद...
जिसपर लगना था प्रेमरंग वो गाल हुआ ओझल सा आज
गैरों से बनते है रिश्ते अपने होते बैर यहाँ पर
होली पर ये मतभेद...