होश में रहते
कुछ दोस्त अभियन्ता हैं
कई अपने मन में नेता हैं
कुछ दोस्त सफल उद्यमी हैं
कई को सफलता की खुशफहमी है
कुछ दोस्त नौकरशाह हैं
कईयों की क़िस्मत धूप-छांव है
कुछ इन दिनों हताश हैं
कुछ पीट रहे ताश हैं
एक ही बेंच बैठ पढ़े
देखो कितने घोड़ों चढे
जब भी मिलते चेहरे खिलते
अब लब सबके सीले रहते
ज्यादा घुलना हो तो पी लेते
पीकर भी अब होश में रहते।।
© Mohan sardarshahari
कई अपने मन में नेता हैं
कुछ दोस्त सफल उद्यमी हैं
कई को सफलता की खुशफहमी है
कुछ दोस्त नौकरशाह हैं
कईयों की क़िस्मत धूप-छांव है
कुछ इन दिनों हताश हैं
कुछ पीट रहे ताश हैं
एक ही बेंच बैठ पढ़े
देखो कितने घोड़ों चढे
जब भी मिलते चेहरे खिलते
अब लब सबके सीले रहते
ज्यादा घुलना हो तो पी लेते
पीकर भी अब होश में रहते।।
© Mohan sardarshahari