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एहसास ए ज़िंदगी
एहसास-ए-ज़िंदगी से जुड़ा एक लेख है ये..
मन के अंतर्द्वंद का ही सहज उल्लेख है ये।

वाकिफ हूं कि बहुत है इस जहां में हम-सा मुस्कुराने वाले.. मुस्कान के ही परदे से अपना हर एक ज़ख़्म छिपाने वाले।

लोग देखकर सोचते हैं कि खुश है जो,वही तो मुस्कुराता है पर...मुस्कुराने वाला जानता है कि मुस्कान के पीछे हर दर्द छुपाता है।

जानता है वह.. कि मुस्कान से सामान्य दिखना आसान है.. दर्द-ए-बयान से लोग नहीं समझेंगे कि वह कितना परेशान है।

फिर भी कभी-कभी जब यह मुस्कान धूमिल हो जाती है.. तब लोगों को क्या हाल बताए,यही बड़ी मुश्किल हो जाती है।

लोग भी अचरज से पूछते हैं कि तुम उदास कैसे हो??? सही भी है.. हंसते हुए चेहरे के दर्द पर विश्वास कैसे हो।

यह तो एक कारण है...