मैं जो लिखता हुँ
लिखता हुँ जो मैं कुछ भी
किसी के लफ़्ज़ उधार लेता हुँ
किसी शाख पे बैठे पंछी के
रंग उधार लेता हुँ
हैं मुझमें...
किसी के लफ़्ज़ उधार लेता हुँ
किसी शाख पे बैठे पंछी के
रंग उधार लेता हुँ
हैं मुझमें...