...

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"एक सफ़र है अंदर का"
सुबह से शाम तक
मशीनी अनुवाद तक
एक सफ़र है अंदर का एहसास तक...

यहाॅं तक कि अंग अंग भी अभ्यस्त है
कितने कदमों की दुरियों में व्यवस्थित हैं
कल...