#घड़ीकेविचार
#घड़ीकेविचार
आज पल पल कैसे बीत रहा है
अतीत में कोई इसे खींच रहा है
जा रहा है स्वर्णिम समय भी ऐसे
व्यर्थ की चिंता में गँवाया हो जैसे
साँझ की थकी थकी मद्धम हवा
इक नयी भोर...
आज पल पल कैसे बीत रहा है
अतीत में कोई इसे खींच रहा है
जा रहा है स्वर्णिम समय भी ऐसे
व्यर्थ की चिंता में गँवाया हो जैसे
साँझ की थकी थकी मद्धम हवा
इक नयी भोर...