...

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प्रकृति
वो मखमली रेत पर चलना
सांझ का धीरे धीरे ढलना
वो बातें वो मुलाकातें
बरसात की रातें
कानों में गूंजती आवाज
बजते थे सुर औ साज
याद में मचलना
और फिर तेरा धीरे से
हाथ पकड़ना याद है मुझे
कैसे भूलूं कैसे ढूंढूं