प्रकृति
वो मखमली रेत पर चलना
सांझ का धीरे धीरे ढलना
वो बातें वो मुलाकातें
बरसात की रातें
कानों में गूंजती आवाज
बजते थे सुर औ साज
याद में मचलना
और फिर तेरा धीरे से
हाथ पकड़ना याद है मुझे
कैसे भूलूं कैसे ढूंढूं
सांझ का धीरे धीरे ढलना
वो बातें वो मुलाकातें
बरसात की रातें
कानों में गूंजती आवाज
बजते थे सुर औ साज
याद में मचलना
और फिर तेरा धीरे से
हाथ पकड़ना याद है मुझे
कैसे भूलूं कैसे ढूंढूं