इस कदर बयां होते हैं वो पल।
कुछ इस कदर बयां होते हैं वो पल
जो बेपरवाह सी ठहाकों में बीत गए कल।
हसने खेलने का दौर था जहां
और इन आँखों में थी एक प्यारी सी चमक।।
लंबी लंबी सी रातें थी
बेमतलब सी बातें थी।
था जहां दोस्ती का आलम
वे ऐसे कुछ सुनहरे पल।
जब रहते थे हम सब साथ-साथ
और जागा करते थे पूरी रात
होती थीं तब अश्लील सी बातें
और बीतते थे दिन यूँही हँसते-हंसाते।।
घूमते थे लेकर जब आँखों में सपने हज़ार
और निकल पड़ते...
जो बेपरवाह सी ठहाकों में बीत गए कल।
हसने खेलने का दौर था जहां
और इन आँखों में थी एक प्यारी सी चमक।।
लंबी लंबी सी रातें थी
बेमतलब सी बातें थी।
था जहां दोस्ती का आलम
वे ऐसे कुछ सुनहरे पल।
जब रहते थे हम सब साथ-साथ
और जागा करते थे पूरी रात
होती थीं तब अश्लील सी बातें
और बीतते थे दिन यूँही हँसते-हंसाते।।
घूमते थे लेकर जब आँखों में सपने हज़ार
और निकल पड़ते...