...

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मेरी बेचैन बाहें
मेरी ये बेचैन बाहें
ढूंढती हैं तुम्हारी पनाहें
कि कभी मोड़ पर मिल जाओ
काश कभी तुम मेरे पास भी आओ
तो करूं मैं बयां अपना हाल - ए- दिल
तुम बिन जीना अब है कितना मुश्किल
माना कि तुमसे अलग है मेरी हर राहें
फिर भी ये क्यों तुम्हारे लिए भरते हैं आहें
जब मंजिल मेरी रास्ते मेरे तो कैसा ये सिला है
लगता है आज भी मुझे तुमसे कोई तो गिला है
तुम्हीं कहो कि क्या कभी ख़तम होगी शिकायत
या बन्द करे हर दरवाज़े है बस इसे इतनी ही हिदायत




© Rhycha