...

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वो जब पूछते हो न , वजूद क्या है मेरा..?
वो जब पूछते हो न कि वजूद क्या है मेरा..?
कुछ इस तरह से करती हूं अपनी ज़िंदगी में ज़िक्र तेरा ।

मेरे खयालों को पंख देने वाली उड़ान हो तुम ,
मेरी आन , बान और शान हो तुम ।

इन आंखों के समंदर में डूबने वाली कश्ती हो तुम ।
मेरी खुशी , मेरे गम , मेरे हर एहसास को संजोने वाली बस्ती हो तुम ।

मेरे दिल में धड़कती हुई धड़कन का एहसास हो तुम...