...

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ख्वाहिश
ख्वाहिश बस इतनी है कि,
उसकी झील सी,
आँखों मे डूब जाऊ
उम्दा चेहरे के,
रुखसारो को चुम लू
उसकी सासो की,
खुशबु मे बस जाऊ

ख्वाहिश बस इतनी है कि
उसकी हसीं की,
खिलखिलाट मे
खुशगवार....
जिंदगी का रस घोल दू
उसकी तरसती बाहों मे,
सुकून उम्र भर का पाऊ

ख्वाहिश, बस इतनी है कि
उसके माथे के बिंदी को
चुम लू
मोहब्बत को उसकी
मै पाकर,खुद की बेरंग
जिंदगी मे
रंग मोहब्बत का भर दू

ख्वाहिश तो बस इतनी है कि
हो मौत अगर नसीब मे मेरे
तो कफन भी
मै उसके हाथो से ओढ़ कर
क़ब्र तक जाऊ....




स्मृति.