ग़ज़ल
आज जल्वे अजल के देखूंगा
उसके दर से निकल के देखूंगा
इस से पहले की फिर नदामत हो
मैं ज़रा और चल के देखूंगा
बात...
उसके दर से निकल के देखूंगा
इस से पहले की फिर नदामत हो
मैं ज़रा और चल के देखूंगा
बात...