ग़ज़ल
“तूफ़ाँ ने कैसा शोर है आकर मचा दिया, ग़ुर्बतज़दा फ़क़ीर के घर को उड़ा दिया…
लिखी थी तेरे नाम से यादों की एक किताब,
हर वर्क़ उस किताब का मैंने जला दिया…
आईना ए हयात में देखा जो दफ़्अतन, उसने परीशाँ हाल का चेहरा दिखा दिया…
पानी का एक घूँट भी...
लिखी थी तेरे नाम से यादों की एक किताब,
हर वर्क़ उस किताब का मैंने जला दिया…
आईना ए हयात में देखा जो दफ़्अतन, उसने परीशाँ हाल का चेहरा दिखा दिया…
पानी का एक घूँट भी...