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पंडित जिस वक्त घंटा के आगे मंदिर को शांत करते है
पंडित जिस वक्त घंटा के आगे मंदिर को शांत करते है। वहीं दूर मस्जिदों से ज़ाहिद गर्दिश में आज़ान लाते है।।

यहां तसल्ली दे ऐसा तो खुदा हर कोई बन जाता। असल आँखें खुदा ढूंढने को आंखिर तरस जाते हैं।।

दफा दफा तर सही होता अगर गला रेतते हुए जाना। सही से काम फिर करके अभी अंजाम मगर देखते हैं।।

सफ़ेद तो ऐसे...