क्या तुम यहीं हो...?
कैसे मानू मैं नज़रों से परे
आस देकर ज़िंदगी से परे
क्या तुम यहीं हो...?
बंद आँखों में झलक जो दिखती
मंगल श्री को हृदय...
आस देकर ज़िंदगी से परे
क्या तुम यहीं हो...?
बंद आँखों में झलक जो दिखती
मंगल श्री को हृदय...