...

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{बदनाम आशिक}
इस कदर बदनाम हुए, तेरे इश़्क मै हम। कि कोई नाम ना रहा, भटकते रहे सुबह-शाम गलीयों मे तेरी।
लोगो ने कहा, कुछ इस कदर? की मेरा कोई मकान ना रहा।
जलते है, वो लोग मुझसे, जो कहते है? इश़्क मै मेरा कोई नाम ना रहा।

रहने दो ऐ-इश़्क ना करने वालों, मै कहता हुँ? मै अब इस बेदर्द ज़हान का ना रहा।
© SK BHARAT