अब हम बातें नहीं करते
पता नहीं ऐसा क्या हुआ
की हमारे होंठ सिल गए
अब हम बातें ही नहीं करते
जब से हमारी खामोशियों के पास
बहुत कुछ है कहने को।
पर खामोशियों की कुलबुलाहट भी
समझ नहीं आती
अश्क के मोती बिखेरते बिखेरते
आंखों के इशारे भी ठंडे पड़ गए
भावनाएं भी चट्टान की तरह
सख्त हो चली...
की हमारे होंठ सिल गए
अब हम बातें ही नहीं करते
जब से हमारी खामोशियों के पास
बहुत कुछ है कहने को।
पर खामोशियों की कुलबुलाहट भी
समझ नहीं आती
अश्क के मोती बिखेरते बिखेरते
आंखों के इशारे भी ठंडे पड़ गए
भावनाएं भी चट्टान की तरह
सख्त हो चली...