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प्रेम दीवानी

© Nand Gopal Agnihotri
नदी चली सागर से मिलने,
वो थी प्रेम दीवानी।
टीले ने उपहास किया,
तू क्या पहुंचेगी मस्तानी।
लहरों ने जब मारा टक्कर,
चूर किया टीले का गौरव,
बची न कोई निशानी।
पर्वत मिले मार्ग में उसको,
चाहा रोकूं...