मन क्यों मौन ?
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
यही काम बार - बार करता है,
मौन रहकर कब तक ये बर्दास्त करेगा
तानों के तीरों के कैसे वार सहेगा ?
वचनों से दिल को तार - तार सहेगा ,
क्या ऐसा ही ये हर बार...
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
यही काम बार - बार करता है,
मौन रहकर कब तक ये बर्दास्त करेगा
तानों के तीरों के कैसे वार सहेगा ?
वचनों से दिल को तार - तार सहेगा ,
क्या ऐसा ही ये हर बार...