...

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चाहत

इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम

अपनी धून में बहते हुए,
सबको दरकिनार करते हुए,
बह रहें हैं देखो हम,

चाह बड़ी ज़ालिम...