बचपन
वह याद जो आज भी बचपन में वापस ले जाती है
कितनी ही कड़ियां है जो एक दूजे से जुड़ी जाती हैं।
क्या बताऊं? जब पेड़ पर चढ़े थे और धम्म गिरे थे
और जब फटे थे नए कपड़े तो कैसे डंडे पड़े थे।
जब २५ पैसे की कॉमिक लेकर पूरा मोहल्ला पढ़ता था
और कॉमिक खो जाने पर 1 रुपया भरना पड़ता था।
बातें बहुत हैं, कितनी गिनाऊं तुमको
सब याद हैं! कैसे भुलाऊं उनको ?
जब बजाके घंटी किसी की, हम नौ दो ग्यारह हो जाते थे
और पकड़े जाने...
कितनी ही कड़ियां है जो एक दूजे से जुड़ी जाती हैं।
क्या बताऊं? जब पेड़ पर चढ़े थे और धम्म गिरे थे
और जब फटे थे नए कपड़े तो कैसे डंडे पड़े थे।
जब २५ पैसे की कॉमिक लेकर पूरा मोहल्ला पढ़ता था
और कॉमिक खो जाने पर 1 रुपया भरना पड़ता था।
बातें बहुत हैं, कितनी गिनाऊं तुमको
सब याद हैं! कैसे भुलाऊं उनको ?
जब बजाके घंटी किसी की, हम नौ दो ग्यारह हो जाते थे
और पकड़े जाने...