कितना मतलबी हूं ना मैं
कितना मतलबी हूं ना मैं,
सिर्फ अपनी ही तकलीफें बयां करता रहा,
तुम्हारी तकलीफों को
जानना तक जरूरी नहीं समझा !!
सिर्फ अपने ही आंसू तुम्हें दिखाता रहा,
और तुम्हारे आंसुओं को
पोंछना तक मैंने जरूरी नहीं समझा !!
कितना मतलबी हूं ना मैं,
तुम पर हर वक्त अपना हक जमाता रहा,
तुम्हारे दिल में खुद को
ढूंढना तक जरूरी नहीं समझा !!
तुम्हें गुस्से में...
सिर्फ अपनी ही तकलीफें बयां करता रहा,
तुम्हारी तकलीफों को
जानना तक जरूरी नहीं समझा !!
सिर्फ अपने ही आंसू तुम्हें दिखाता रहा,
और तुम्हारे आंसुओं को
पोंछना तक मैंने जरूरी नहीं समझा !!
कितना मतलबी हूं ना मैं,
तुम पर हर वक्त अपना हक जमाता रहा,
तुम्हारे दिल में खुद को
ढूंढना तक जरूरी नहीं समझा !!
तुम्हें गुस्से में...